dear anuj
bjp /congress is hvng same economic policy & polity structure
congress me pariwarwad ki chhaya hai to bjp me sangh parirwar wad ki
chhya bhrashtachar me dono lipt hai fark kaha hai mp/gujrath
,maharashtra aur karnatak me bjp ka corruption kam nahi hai 19/20 ka
fark hai
On 12/31/13, Akalpita Paranjpe <akalpitap@gmail.com> wrote:
> Dear Anuj
> आपके अनलेसिस के लिये धन्यवाद . क्या आप भाजपा से जुडे हुये है या एक सशक्त
> परिवर्तन लन चाहेंगे ये स्पष्ट किजिये . यह बात अब त्य है कि सभी पर.परिक
> राजनैतिक द्लो.से जनता उब गयी है . अगर एक सशक्त पयार्य देनेका आपका प्रयास
> है तो कृपया संपर्क किजिये।
>
> अकल्पिता
>
>
>
> 2013/12/30 Anuj Agrawal <dialogueindia.in@gmail.com>
>
>>
>> Respected Friends
>>
>> NUTAN VARSH ABHINANDAN.
>>
>> An analysis on AAP.
>> If you find justified. please read, react and disseminate.
>>
>> दो सभ्यताओं का संघर्ष
>> च विधानसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भाजपा की जीत
>> गहरे मायने रखती है। यह देश में राष्ट्रवाद के बढ़ते उफान का संकेत है।
>> जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा की राजनीति का अगला क्रम राष्ट्रवाद ही होता
>> है और अब इन मुद्दों के सहारे राजनीति के धंधेबाजों की दुकानें सिमटने का
>> समय आता जा रहा है। निश्चय ही अभी इसमें कुछ और वर्ष लगेंगे। कांग्रेस
>> पार्टी द्वारा मानवतावाद और अंतर्राष्ट्रीयवाद के नाम पर संकीर्ण सोच के
>> दायरे में जीने पर मजबूर किये जा रहे भारतीयों में इन मुद्दों का खोखलापन
>> समझ में आता जा रहा है। विकसित देशों द्वारा अपने हितों व अपने बाजार को
>> भारत में बनाये रखने के लिए नित नयी-नयी साजिशें रची जाती हैं। कांग्रेस
>> पार्टी एवं कई क्षेत्रीय दलों से इनकी खासी गलबहियां हैं। पिछले दस
>> वर्षों की अनवरत लूट व भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए इन्हीं शक्तियों ने
>> 'जनलोकपाल, 'आम आदमी पार्टी एवं नारी उत्पीडऩ जैसे आंदोलनों, दल व
>> मुद्दों को भड़काया एवं जनता को भ्रमित करने की कोशिश की है। वस्तुत: यह
>> दो सभ्यताओं का संघर्ष है जिसमें एक ओर भाजपा एवं संघ परिवार है तो दूसरी
>> ओर कांग्रेस पार्टी, वामपंथ एवं पश्चिमी बाजारू ताकतें हैं। अब यह विभाजन
>> स्पष्ट हो चुका है।
>> पिछले दस वर्षों में कांग्रेस पार्टी ने बड़ी कुटिलता से संघ परिवार
>> को अपने फंदे में जकड़कर इनके आंदोलन को बिखेरने की कोशिश की है। अनेक
>> संघ के नेताओं को हिन्दू सांप्रदायिकता भड़काने के नाम पर घेरे में लिया
>> तो अनेक भाजपा नेताओं को घोटालों व भ्रष्टाचार के मुद्दों पर घेरकर
>> निस्तेज करने की साजिश की। भाजपा के अनेक असंतुष्ट मुद्दों को भड़काकर
>> पार्टी में विद्रोह की अनेक कोशिशों को अंजाम दिया गया और अनेक जगह भाजपा
>> की सरकारों को गिराने व हराने के षड्यंत्र रचे गये। कहीं न कहीं कांग्रेस
>> पार्टी लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज एवं अरुण जेटली जैसे भाजपा के
>> शीर्ष नेतृत्प को घेरकर रोके रखने में सफल हुई और इसी कारण पिछले दस
>> वर्षों में भाजपा अपने विस्तार व प्रभाव के साथ-साथ मुद्दों से भटकती नजर
>> आई और संघ परिवार भी अपनी कमजोरियों का शिकार होकर बिखराव का शिकार होता
>> गया।
>> कांग्रेस पार्टी की नजर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर थी
>> और इस क्रम में वह कर्नाटक, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश व झारखंड में
>> भाजपा की कमजोरियों को भुनाकर सरकार बनाने में सफल रही। बिखरते टूटते
>> भाजपा व संघ परिवार के लिए नरेंद्र मोदी का प्रभावी व्यक्तित्व एवं उनकी
>> प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के लिए दावेदारी की स्वीकृति अमृत के समान
>> सिद्ध हो गयी। मोदी के बढ़ते कद, जन स्वीकार्यता एवं प्रभाव ने यकायक कुछ
>> ही महीनों में भाजपा को पुन: दौड़ में खड़ा कर दिया और गुजरात,
>> मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के भाजपा मुख्यमंत्रियों के शानदार शासन में
>> तीसरी बार जनता के विश्वास व्यक्त करने के कारण कांग्रेस पार्टी बिखराव
>> के दौर में आकर अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के निकट खड़ी है। चिंता
>> कांग्रेस पार्टी से जुड़े धनपतियों, बुद्धिजीवी वर्ग, लेखकों, कलाकारों,
>> पत्रकारों, एक्टिविस्ट लोगों व एनजीओं गैंग को है। चूंकि उनकी दुकानें
>> बंद होने वाली है। ऐसे में इस वर्ग के लोगों द्वारा सोनिया-मनमोहन के
>> सत्ता संघर्ष व घोटालों के 'सेफ्टीवाल्व अन्ना हजारे व अरविंद केजरीवाल,
>> जिनका प्रयोग भ्रम की राजनीति के तहत 'जनलोकपाल आंदोलन के लिए किया गया
>> था, की विश्वसनीयता का पुन: प्रयोग किया जा रहा है। दिल्ली में अपनी हार
>> निश्चित जानकर अनेक कांग्रेसी नेताओं ने अपने समर्थकों से आआपा को वोट
>> दिलाया। मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर आआपा के पक्ष में हवा बनाना एवं
>> आआपा की उपलब्ध्यिों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना तथा अन्ना का इस्तेमाल कर
>> 'लोकपाल विधेयक को पुन: चर्चा में लाकर भाजपा की जीत, तेलगांना, पार्टी
>> की हार एवं छूटते सहयोगियों के मुद्दे से ध्यान हटाने की हर संभव कोशिश
>> करना रणनीति के तहत है।
>> कांग्रेस पार्टी एवं उसके समर्थक 'मीडिया एवं एनजीओ की कोशिश है कि
>> 'केजरीवालको सुशासन, पारदर्शिता, भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्षशील नायक
>> आदि के रूप में मोदी के समानान्तर पेश किया जाये और किसी हद तक मोदी के
>> पक्ष में बहती हवा को मंद किया जाये। किंतु देश 'दिल्ली नहीं है। भाजपा
>> की लगातार बढ़त व लोकप्रियता, उसके मुख्यमंत्रियों का तीसरी बार चुना
>> जाना कहीं न कहीं उनके उसी 'सुशासन पर जनता की मुहर है जिसका दावा
>> केजरीवाल कर रहे हैं, किंतु प्रयोग में अभी तक कुछ भी करके नहीं दिखा
>> पाये हैं।
>> मुख्य मुद्दे भारतीयता, स्वसंस्कृति, स्वदेशी एवं रोजगार और
>> भारतीयोंं के आत्मगौरव व स्वाभिमान के हैं जो भारतीय जनता पार्टी की
>> विचारधारा के मूल तत्व है। इन मुद्दों पर केजरीवाल कहीं न कहीं कांग्रेसी
>> विचारधारा की गोदी में बैठे दिखते हैं। निश्चित रूप से 'भारत तत्व की खोज
>> भाजपा व संघ परिवार के दर्शन में तो खोजी जा सकती है, बाकी दलों में इसका
>> मिलना मुश्किल होता जा रहा है। परिवर्तन लोकतंत्र या आवश्यकता है तो आने
>> वाले लोकसभा चुनाव में जनता क्यों न संघ परिवार पर दांव लगाये?
>>
>> आप की नैया - कांग्रेस खिवैया
>> लोकसभा चुनावों में अपनी हार, बिखराव व टूट से पहले कांग्रेस पार्टी अपने
>> संभावित विकल्प एनडीए की राह में अधिकतम रोड़े बिखेरने पर आमादा है। आआपा
>> पार्टी की दिल्ली में सरकार, फर्जी लोकपाल कानून और भारतीय राजनयिक
>> देवयानी के प्रकरण में अमेरिका से तकरार अकस्मात नहीं है। कांग्रेस के
>> डूबते जहाज पर सवार 'तोडफ़ोड़ व प्रपंच की राजनीति के रणनीतिकार चार
>> राज्यों में अपनी हार सुनिश्चित जानकर विधनसभा चुनावों के बाद के
>> नकारात्मक परिदृश्य को भ्रम व भटकाव की राजनीति में बदलने की योजना पहले
>> ही गढ़ चुके थे। दिल्ली चुनावों में अंतिम समय में कांग्रेसी नेताओं
>> द्वारा गुपचुप तरीके से आआपा को समर्थन, अन्ना के अनशन का 'फिक्स गेम व
>> लोकपाल बिल और देवयानी का मसला सब पहले से निर्धरित खेल थे जिससे भाजपा व
>> मोदी की जीत एवं कांग्रेस व राहुल की शर्मनाक हार चर्चा में न आ सके।
>> अपने अति उत्साही व जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वासी कांग्रेसी रणनीतिकारों
>> ने दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की लुटिया डूबा दी और उखड़े खूंटो को
>> संभालती, खीजती-खिसियाती कांग्रेस, जहाँ 'आम आदमी पार्टी को अपनी 'बी टीम
>> बनाकर अपनी सरकार दोबारा बनाने पर आमादा थी, वहीं वह अब उल्टे 'आम आदमी
>> पार्टी की 'बी टीम बन बैठी है। प्रेस मीडिया, कारपोरेट घरानों, अमेरिकी
>> थिंक टैंक (फोर्ड फाउंडेशन व सीआईए) और मनमोहन सिंह के 'चंडीगढ़ क्लब की
>> बदौलत 'सेफ्टी वाल्व थ्योरी के तहत घोटालों से जनता का ध्यान हटाने व
>> उलझाने का ठेका उठाकर केजरीवाल टीम ने दिल्ली में सरकार बनाने में सफलता
>> तो पा ली है किन्तु इससे देश में व्यवस्था परिवर्तन के बड़े आंदोलनों को
>> बिखेरने के षड्यंत्र करने के जुर्म से उन्हें मुक्ति नहीं मिल सकती।
>> देर-सबेर देश की जनता उनसे हिसाब मांगेगी। 'क्रोनी कैपिटलिज्म एवं
>> 'कारपोरेट अराजकता के मेल से निकली उनकी 'आम आदमी पार्टी व उसकी सरकार एक
>> भ्रम और धोखा ही साबित होनी है और 2014 इसका गवाह बनेगा।
>> केजरीवाल को मोदी के समक्ष प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में खड़े
>> करने की अमेरिकी साजिश को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि उनकी लोकसभा
>> चुनावों में दावेदारी पुन: एनडीए के वोट काटने का षड्यंत्र ही है, जिसके
>> परिणाम त्रिशंकू लोकसभा के रूप में सामने आयेंगे और इस खेल के सफल होने
>> पर सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस पार्टी व अमेरिका ही मुस्करा रहे होंगे।
>> ईश्वर देश की जनता को धोखा देने की कोशिश करने वालों को सद्बुद्धि दे।
>> हाँ जनकेन्द्रित शासन की कमियाँ व भ्रष्टाचार के प्रति उदासीन रवैया,
>> भाजपा को भी छोडऩा होगा, तभी वह लोकसभा चुनावों में सरकार बनाने की सच्ची
>> दावेदार बन सकती है, नहीं तो तीसरे मोर्चे की सहायता से सत्ता में आने से
>> कांग्रेस पार्टी को कोई रोक नहीं सकता।
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>> Anuj Agarwal
>> National coordinator
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>> Mob. : 9811424443
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--
Rajendra Mohan Sharma[Pipalwa]
B.Com. (Hons) LL.M.
Advocate Bombay High Court.
"Martand" 168, Shraddha Colony,
N-2, Cidco, Opp Dhoot Hospital,
Jalna Road, Aurangabad (MS) 431 003
Phone No. 0240-2476096
Mobile No.+ 91-9764777733
service to mankind is service to god
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