Excellent poem.
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On Feb 23, 2013, at 1:26 PM, Ghulam kundanam <ghulam.kundanam@gmail.com> wrote:
> महात्मा और नेताजी
>
> गाँधी जी के सत्याग्रह में भी , खड़े रहे थे नेताजी ,
> साथ छोड़ा था तो वक़्त और वतन की जरूरत के लिए,
>
> माना की भूख हड़ताल से, थर्राया था गोरों का शासन ,
> आजाद हिन्द फ़ौज ने भी खून दिया, जम्हूरियत के लिए .
>
> मकसद दोनों के एक ही थे , आजाद हो हमारा वतन,
> दोनों तरीके जरूरी ही थे, अंग्रेजों के रुखसत के लिए .
>
> संघर्ष किया था गाँधी ने 'पूर्ण स्वराज ' के नारों से ,
> 'दिल्ली चलो ' भी याद रहेगा आज़ादी की ज़दोजहत के लिए.
>
> अन्ना ने है आस जगाई , देश में आएगी सुचिता ,
> अरविन्द ने भी अलख जगाई, आम आदमी की हुक्कुमत के लिए.
>
> झुकता है सर सम्मान से गाँधी सरीखे अन्ना पर ,
> बाहें फैलाये खड़े हैं हम शुभाष सा सख्सियत के लिए.
>
> ॐ . ੴ . اللّٰه . † …….
> Om.Onkar. Allâh.God…..
> Jai Hind! Jai Jagat (Universe)!
>
> - ग़ुलाम कुन्दनम.
> स्वयंसेवक,
> आम आदमी पार्टी + जनतंत्र मोर्चा.
> 9931018391.
>
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Tuesday, February 26, 2013
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