मुझे इस बात से समस्या नहीं की किसी प्रान्त में हिंदी नहीं बोली जाती यदि हम चाहे तो मातृ भाषा सीख सकते हैं . मातृभाषा के निर्धारण का आधार पर लम्बी चर्चा हो सकती है . मगर गुलामी के प्रतिको को ढोते रहना कहाँ तक जायज है??
रही बात संसद की तो संसद में क्या होता है ये पूरा हिन्दुस्थान देखता है विश्व बैंक और यूरोप की दलाली पर चलने वाली संसद है ये .. आज तक अंग्रेजी कानून के अल्पविराम और पूर्ण विराम नहीं बदल पाए संसद के कर्णधार तो संसद की भाषा कैसे बदलेंगे ...
यदि सिर्फ आधार बोले जाने का है तो कृपया मार्गदर्शन करे हिन्दुस्थान के कितने प्रतिशत लोग अंग्रेजी जानते हैं की इसे विचार सम्प्रेषण का माध्यम बना जाये।। इससे ज्यादा तो मराठी या तमिल जानने वाले होंगे ..
आशुतोष
2013/1/28 Prabhat Jonathan <prabhatjon@gmail.com>
हाँ तो बंधु भाषा से भारतीयता का क्या संबंध है ? इस हिसाब से कई प्रांत जहां उन प्रांतो की भाषा बोली ओर लिखी जाती है वो तो भारत के ही नहीं हैं ? ऑर हिन्दी ऑर अँग्रेजी दोनों ही संसद की भाषा है भाई मेरे तो सभी को हक़ है किसी भी भाषा मे लिखने के लिए ऑर कोई ऑर नहीं मेरे से ही बात करें
2013/1/25 Ashu <ashu7oct@gmail.com>सब इंडियन हैं या कोई भारतीय भी है यहाँ॥कई दिन से प्रयास कर रहा हूँ कोई हमारी मातृभाषा मे लिखे और उससे ज्ञानार्जन हो मगर यहाँ तो मैकाले की गंगोत्री दिख रही है ॥जय श्री राम
--Yesterday is gone. Tomorrow has not yet come. We have only today. Let us begin.
Prabhat Jonathan
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