Monday, September 29, 2014

Re: [IAC#RG] Maulik Bharat Press Release - Open Debate effective curbs on crimes against women and burgeoning illegal trade of drugs and vulgarity;

Dear Sarvjitjee,

      I know very well that Dr Dominic Dixion is working with church. But its also a fact that he is working on bed impact of porn. Maulik Bharat  organise a open debate on these issue and Dixion was a suitable person to share his experience. We was focus on our topic and also invite all religious group and social/ political organisation and anybody may express his or her views. It was not a religious program. Please help us to focus and fight for our cause. Anyway thanks for input. We will keep in mind in future.

With regard
Anuj

2014-09-29 21:24 GMT+05:30 Sarbajit Roy <sroy.mb@gmail.com>:
Dear Anuj ji

Please examine who this Dominic F Dixon is before circulating his
Vatican dictated propaganda ? It is really very surprising that the
RSS and VHP were partners in this Popish rubbish and were on the same
platform with him on 27 Sept. 2014.

http://www.zoominfo.com/p/Dominic-Dixon/1161534817

Please know that this Dominic Dixon is here expressly to convert
Hindus on DIRECT orders of Vatican. His anti-pornography message is
actually to boost numbers of Christians in India because they know
that Hindus practice birth control as a national priority and Roman
Catholics generally don't.

Sarbajit

On 9/29/14, MAULIK BHARAT <maulikbharat@gmail.com> wrote:
> प्रेस विज्ञाप्ति
> *खुलीबहसः नशाखोरी, अश्लीलता और नारी उत्पीड़न का समाधान-सतत संघर्ष,
> जनजागरूकता व जनांदोलन*
> *मौलिक भारत व सहयोगी मित्रा संगठनों का संकल्प सरकार पर दबाव बढ़ायेंगे, देश
> भर मे अभियान चलायेंगे *
> *27 सितम्बर 2014 कई मायनों में ऐतिहासिक दिन रहा। मौलिक भारत के तत्वाधान में
> स्पीकर हाॅल, कंास्ट्टियूशनल क्लब नई दिल्ली में आयोजित 'खुली बहस' में पहली
> बार नशाखोरी, अश्लीलता एवं नारी उत्पीड़न को एक ही सिक्के के दो पहलू माना गया
> और सभी भाग लेने वाले बु(ि जीवियों, पत्राकारांे, सामाजिक संस्थाओं व सामाजिक
> कार्यकर्ताओं ने माना की ये तीनों समस्याऐं एक दूसरे से बुरी तरह जुड़ी हैं और
> नशाखोरी व अश्लीलता पर नियंत्राण से ही नारी शोषण से मुक्ति, नारी की गरिमा की
> रक्षा, बच्चों व किशोरों का स्वस्थ्य विकेास एवं युवाओं की रचनात्मकता,
> मौलिकता एवं सामाजिकता में गुणात्मक ंबढ़ोत्तरी हो सकती है।*
> * खुली बहस में उ.प्र, हरियाणा, दिल्ली, उड़ीसा, राजस्थान, कर्नाटक,
> आंधप्रदेश, तमिलनाडू, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, गुजरात व अन्य अनेक प्रांतो से
> 'मौलिक भारत अभियान' से जुड़े 350 से ज्यादा कार्यकर्ताओं व 100 से अधिक
> संस्थाओं ने भाग लिया। *
> * 'खुली बहस' में प्रसि( पत्राकार वेद प्रताप वैदिक, रामनुजा मिश्न ट्रस्ट के
> प्रणेता चर्तुवेदी स्वामी, ले. जनरल विष्णुकांत चतुर्वेदी, अरावली इंस्ट्टियूट
> आॅपफ मैनेजमेट स्टडीज के पं्रबंध निदेशक व प्प्ज्ध्प्प्ड एल्युमिनी एशोसिऐशन
> के अध्यक्ष प्रो॰ वरूण आर्य, भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में
> उपसचिव श्रीमती रश्मि ;राष्ट्रीय संयोजक नेशनल पफोरम पफाॅर एक्शन आॅन
> कनबर्जेन्सद्ध अखिल भारत  हिन्दु महासभा के पूर्व अध्यक्ष व विश्व हिन्दु
> परिषद के नेता दिनेश त्यागी मौलिक भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष गजेन्द्र सोलंकी,
> उपाध्यक्ष व महिला कार्यकर्ता उषा ठाकुर, नेशनल यूथ पार्टी के अध्यक्ष
> राजकुमार सिंह, मनौवैज्ञनिक डा.डोमिनिक डिक्सन, भारत सरकार में निदेशक नीरज
> कुमार व 20 से अध्कि अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के
> संयोजन में सुरेश शर्मा, नवीन कोशिक एवं अनुज आग्रवाल की विशेष भूमिका रही। *
> *पृष्ट भूमि - नेशनल यूथ पार्टी के अध्यक्ष राजकुमार सिंह ने इस अभियान की
> प्रासंगिकता, पृष्ठभूमि व मौलिक भारत की प्रमुख भूमिका व भविष्य की
> कार्ययोजनाओं को स्पष्ट करते हुए बताया कि अगले कुछ महीनों में यह अभियान देश
> के विभिन्न भागों में समग्र रूप से चलाया जायेगा और व्यापक जन चेतना विकसित की
> जायेगी। *
> *सभी मांगों का पूर्ण समर्थन वेद प्रताप वैदिक जी ने मौलिक भारत के इस अभियान
> की खुले दिल से प्रशंसा की और मौलिक भारत की भारत सरकार से की गयी सभी दस
> मांगों का पूर्ण समर्थन किया और अभियान को पूर्ण सहयोग व समर्थन देने का
> आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सरकारें इन मुद्दों पर मौन ही रहती हैं और नशे
> व अश्लीलता के व्यापार से उपजे काले धन से ही चलती हैं। ऐसे  में वे इस पर रोक
> क्यों लगायेंगी जो लोग राजनीति में हैं वे स्वार्थी व प्रंपची बन जाते हैं और
> पद की लालसा व लोभ में विध्वंसात्मक हो समाज से कट जाते हैं। हम और आप जैसे
> लोग जो जीवन को सार्थक करना चाहते है हमेशा रचनात्मक कार्यो में लग समाज को
> बचाने व बनाने के कार्य में संतुष्टि का अनुभव करते हैं। बेहतर यही होगा कि हम
> समाज में इतना व्यापक अभियान चलायें कि समाज ही नशाखोरी व अश्लीलता का त्याग
> कर दे और व्यवस्था बाजारू शक्तियों से मजबूर होकर दूरी बना ले। उन्होनें इन
> तीन मुद्दों के साथ स्वभाषा में शिक्षा को जोड़ने पर भी जोर दिया। उन्होंने
> कहा कि मूल्यों का विकास शिक्षा के माध्यम से ही होता है और शिक्षा ही
> संस्कृति की वाहक होती है। ऐसे में अंग्रेजी भाषा की शिक्षा पाश्चात्य
> संस्कृति का प्रसार भी करती जाती है अतः स्वभाषा में शिक्षा भी माँग इस
> त्रिकोण का चैथा कोण है।*
> *वैदिक संस्कृति है समाधन - रामानुजा किशन ट्रस्ट के प्रणेता प्रकांड विद्वान
> एवं ज्ञानी चतुर्वेदी स्वामी ने नशाखोरी, अश्लीलता एवं नारी शोषण तीनों
> समस्याओं का विश्द विश्लेषण, इनके विविध पहलू, व्यवस्था व समाज के अनर्तसंबंध
> व इनके विकारों के विकास में बाजार की भूमिका और उस पर आवश्यक नियंत्राण की
> बात की। उन्होनें विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय पफोरमों पर भी इस मुद्दे को उठाने
> का आश्वासन दिया, साथ ही आहवान किया कि हम ऐसे कलाकारों व लोगों का सार्वजनिक
> बहिष्कार व विरोध करें जिनकी भूमिका महिला को उत्पाद के रूप से पेश करने की
> रही है। उन्होंने सभी कानूनों का उपयोग इस दिशा में बठने, भारतीय वैदिक
> संस्कृति की उपेक्षा के कारण नारी का मान करने पर भी क्षोभ प्रकाट किया।
> उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति की पुर्थस्थापना से ही नशाखोरी, अश्लीलता व
> नारी शोषण से मुक्ति मिल देश में रचनात्मक वातावरण बन सकेगा। *
> *पशुवत बना देता है पोेर्न देखना - 'खुली बहस' का प्रमुख आकर्षण पादरी व
> मनोवैज्ञानिक डा. डोमिनिक डिक्सन का पावर प्वंाइट प्रजेंटेशन रहा जो वे 36 से
> अध्कि देशों में प्रस्तुत कर चुके हैं। वैज्ञानिक खोजों व अनुसंधान के आधर पर
> उन्होंने स्पष्ट किया कि अश्लील व पोर्न सामागी देखने से मष्तिष्क विकृत होने
> लगता है और व्यक्ति सामाजिकता से हटकर एकाकी व पशुवत व्यवहार करने लगता है।
> अपनी इस पशुवत मानसिकता व आत्मकेन्द्रित होती सोच के बीच वह यौन अपराध्ी बन
> जाता है और महिलाओं  व बच्चियों को 'वस्तु' समझने लगता है यह सोच पूर्णत समाज
> व महिला विरोध्ी होने के कारण अत्यन्त घातक है और इसे रोकना जरूरी है।
> उन्होंने तथ्यों के आधर पर बताया कि अश्लीलता का उद्योग 100 अरब डाॅलर सालाना
> का है और मोटी कमाई के लालच के कारण व्यवस्था व इस उद्योग से जुड़े लोग मानवता
> व समाज विरोधी इस व्यापार को पफल-पफूलने  दे रहे हैं किंतु अब यह खतरनाक रूप
> ले चुका है और मानवता विखरने व नष्ट होने के कगार पर है, अब सबको संगठित होकर
> इसे रोकना होगा।*
> *स्त्री को माँ समझों - विश्व हिन्दू परिषद के नेता दिनेश त्यागी ने देश में
> महिलाओं और बच्चियों के प्रति बढ़ते अपराधें के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की और
> हिन्दू ध्र्म व वैदिक संस्कृति की और लौटने के स्वामी विवेकानन्द के आहवान को
> दोहराया। उन्होंने स्त्रिायों केे प्रति सम्मान व उसे माँ के रूप में देखने पर
> जोर दिया और उसकी अस्मिता व गरिमा की रक्षा के लिए सभी प्रकार सहयोग देने का
> आश्वासन भी दिया। *
> *पतिता नारी की गरिमा की भी रक्षा हो - भारत सरकार में महिला व बाल विकास
> मंत्रालय की वरिष्ठ अधिकारी व महिला सशक्तीकारण की दिशा में क्रांतिकारी कार्य
> करने वाली डा. रश्मि सिंह ने कम महिला वक्ता होने पर खेद प्रकट करते हुए कहा
> कि महिलाओं के दृष्टिकोण को व स्थिति को समझना बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने
> स्पष्ट किया कि अगर कोई हीरोइन जानबूझकर अश्लील दृश्य/पफोटों दे रही है तो
> उसकी भत्र्सना की जानी चाहिए किन्तु अगर कोई स्त्राी गलत कार्य यथा
> वेश्यावृत्ति या डांस बार जैसे ध्ंध्े मे जबरदस्ती ध्केल दी जाती है तो उसकी
> गरिमा, आत्म सम्मान की रक्षा करना समाज का उत्तरदायित्व है अन्यथा उसके प्रति
> भारी अन्याय होगा। उन्होंने समाज में व्यापक जनानदोलन करने, शिक्षा में सुधार
> लाने व नारी सशक्तीकरण के द्वारा समस्याओं के समाधन पर जोर दिया। *
> *नारकोटिक्स विभाग चलाता है ड्रग्स रैकेट - प्रोः वरूण आर्य ने अपने उद्वोध्न
> में खुलासा किया कि जब उन्होंने जोधपुर में 'ड्रग्स' व्यापारियों के खिलापफ
> मुकदमा दर्ज कराया तो स्थानीय विधयक, पुलिस व मुख्यमंत्राी तक उनके विरू( खड़े
> हो गये। उनके सभी साथियों को पीटा व ध्मकाया गया किन्तु उन्होंने अपना संघर्ष
> जारी रखा और अन्ततः न्यायपालिका की मदद से समाधन भी हुए। उन्होंने अपने
> विभिन्न आई. आई. टी/आई.आई. एम व बड़ी कम्पनियों के अनुभवों को साझा करते हुए
> बताया कि इन सभी में 'ड्रग कल्चर' महामारी बन चुका है और पिछले 20-25 वर्षो
> में लाखों छात्रा व कर्मचारी इस लत का शिकार होकर बबार्द हो चुके है और उनके
> अपने बहुत से दोस्त इस कारण बुरे हाल में हैं। उनका एक और खुलासा खासा स्तब्ध
> करने वाला था कि स्वयं 'नारकोटिक्स विभाग' ही देश भर में ड्रग्स के रैकेट चला
> रहा है, ऐसे में ड्रग्स समस्या के समाधान के लिए जान हथेली पर रखकर कार्य करना
> होगा। अपने बीस वर्षो के संघर्ष के परिणाम शून्य रहने पर भी उन्होंने अपफसोस
> जताया व मौलिक भारत के संघर्ष में कंधे से कंध मिलाकर चलने का आश्वासन दिया।
> मौलिक भारत की उपाध्यक्ष सुश्री उषा ठाकुर ने अपने नोयडा व दिल्ली के अनुभवों
> को साझा किया कि कैसे एक महिला ड्रग्स विक्रेता व पुलिस के गठजोड़ को उन्होनें
> नष्ट किया व बहुत से ड्रग्स कारोबारियों को गिरफ्रतार कराया। उन्होंने समाज
> में 'चेतना' शक्ति के विकास का आहवान किया।*
> * ले. जनरल विष्णुकांत चतुर्वेदी ने भारतीय संस्कृति की पुर्नस्थापना,
> जनजागरण, पारिवारिकता को बढ़ावा, आत्मसंयम, व शिक्षा के माध्यम से नशे के
> विकास को दूर करने पर जोर दिया। *
> *चलायेगें बड़ा अभियान - मीडिया से बात करते हुए मौलिक भारत ट्रस्ट के महासचिव
> अनुज अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि हमने अपने दस सूत्री माँग पत्रा देशभर में 10
> लाख से अध्कि प्रवृ( वर्ग को भेजा है व सभी मंत्रियों व राजनीतिक/सामाजिक
> संगठनों को इसके समर्थन में आगे आने का आह्वान किया है। उन्होंने अफसोस प्रकट
> करते हुए कहा कि भारत सरकार क सात मंत्रियों को इस मौके पर सरकार की नीतियां व
> नीयत रखने के लिए बुलाया गया था किन्तु कोई भी नहीं आया। यद्यपि हमारे व
> सहयोगी संस्थाओं के दवाब में कुछ दिन पूर्व ही सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने
> टीवी चैनलों से अश्लील विज्ञापनों को हटाने का आदेश जारी किया है। किन्तु
> नशाखोरी, पोर्न साइटों पर प्रतिबंध् पिफल्मों में अश्लीलता पर नियंत्राण आदि
> के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाये हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आने वाले
> समय में सभी संस्थाये मिलकर एक बड़ा आंदोलन इस दिशा में चलायेंगी। *
> * इस अवसर पर नवीन कौशिक व सुरेश शर्मा द्वारा सभी को यह शपथ दिलायी गयी कि
> 'हम आगे से हर जगह अश्लीलता का विरोध करेंगे ओर नशा न करेंगे न करने देंगे। *
> * आयोजन को सुचारू रूप से चलाने में, रजनीश झा, नीरज भाटिया, नीरज शर्मा,
> उष्कर्ष अग्रवाल, मृत्युंजय सिंह, राजेश गोयल, अमरनाथ ओझा पुनीत गोस्वामी,
> नवीन कौशिक आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। *
>

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