Wednesday, June 22, 2011

[rti_india] Internationally Applicable to all Human Beings

 


Dear Friends,

Internationally Applicable to all Human Beings
 (Human Nature / इंसानी फितरत).

(My sincere apologies to people who are unable to read Hindi)

1. आपने अक्कल से पूछा
के आप कहा रहेती हो?
अक्कल ने जवाब दिया, में इंसान के दिमाग में रहेती हु.

2. आपने शर्म से पूछा के आप कहा रहेती हो?
शर्म ने जवाब दिया, में इंसान के आँख में रहेती हु.

3. आपने मोहब्बत से पूछा के आप कहा रहेती हो?
मोहब्बत ने जवाब दिया, में इंसान के दिल में रहेती हु.

4. फिर आपने तक़दीर से पूछा की आप कहा रहेती हो?
तक़दीर ने जवाब दिया, में इंसान के दिमाग में रहेती हु.
आपने फ़रमाया की, लेकिन वहा तो दिमाग रहता है.
तक़दीर बोली की जब मै आती हु, तो वहा से दिमाग रुक्सद हो जाता है.

5. फिर आपने हवस से पूछा के आप कहा रहेती हो?
हवस ने जवाब दिया, में इंसान के आँख में रहेती हु.
आपने फ़रमाया की, लेकिन वहा तो शर्म रहती है.
हवस बोली की जब मै आती हु, तो वहा से शर्म रुक्सद हो जाती है.

6. फिर आपने लालच से पूछा की आप कहा रहेती हो?
लालच बोली, में इंसान के दिल में रहेती हु.
आपने फ़रमाया की, लेकिन वहा तो मोहब्बत रहेती है.
लालच बोली की जब मै आती हु, तो वहा से मोहब्बते रुक्सद हो जाती है.

Please Note: 
लालच = greed (which is one of the ingredients of corruption, the other one being ?)

Best Regards,

Sunil.



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