CITIZEN JOURNALIST APPLICATION – CUM – UNDERTAKING
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The Editor
Breaking News Today
Admin Office: B-254-I, Florence Marvel,
Sushant Lok-III, Sector 57, Gurgaon-122002.
Sir,
I hereby apply to voluntarily act as CITIZEN JOURNALIST of BREAKING NEWS TODAY. My particulars are as under:
Name:
Father's Name
Spouse Name
Date of Birth
Address:
Tel:
Mobile
Experience
Two References:
a. Name
Address, Landline No. Mobile No. Signature
b. Name Address, Landline No, Mobile No., Signature
I further undertake that:
a) I shall not do anything which is detrimental to the interests and reputation of BREAKING NEWS TODAY
b) I shall abide by the directives issued by the Editorial Board of Breaking News Today in respect of its CITIZEN JOURNALIST
c) I shall not misuse the IDENTITY CARD of BREAKING NEWS TODAY
d) I shall provide the authentic news and information to Breaking News Today
e) I understand that I am not an employee of Breaking News Today, nor Breaking News Today is responsible for any of my acts and deeds.
f) I understand that CITIZEN JOURNALIST is for the welfare of the society and it is an Honarary Service i.e. without any Salary, Honararium or benefits.
g) I understand that the Management of Breaking News Today has the right to discontinue me at any time as CITIZEN JOURNALIST of Breaking News Today.
h) I submit myself to Delhi jurisdiction only in respect of this.
Name
Address
Signature
Notary Attestation
RNI Regn. No. DELBIL/2008/
24327 Breaking News Today
Vol. No. II & Issue NO.21
27nd July, 2010
Pages 16
बात वही, सोच नई
हर खबर पर पैनी नजर
नेता और अफसर
Corruption के रखवाले
देश में फैले भ्रष्टाचार को सभी दलों ने अपनी मौन स्वीकृति दे रखी है क्योंकि सभी दलों ने विगत में इतने घोटाले कर रखे हैं की उनके लिए इसके खिलाफ जाना नामुमकिन हैं यदि कोई दल इस बीमारी को दूर करने की बात करता है तो वह केवल एक दिखावा है छलावा है. इस देश की जनता का भ्रमित करना है. उनका अतीत इस बीमारी को दूर करने से रोकता है. सत्ता के भूखे इन दलों की कोई सैद्धांतिक विचारधारा नहीं है. कहने को यह अपने को इस देश के गरीबों का मसीहा कहते हैं लेकिन सबसे पहले यह छुरी गरीब जनता पर चलाते हैं. मंहगाई बढ़ रही है. इसका सबसे जयादा असर गरीब भारतवासियों पर पड रहा है. आज सभी दलों के नेताओं की बातें हास्यप्रद लगती हैं. इनकी करनी और कथनी में बहुत अंतर है. इन्होने देश को समाजवादी व्यवस्था की बजाय पूंजीवादी व्यवस्था की और धकेल दिया है. इनके अधिकतर कार्य समाज के कल्याण के लिए नहीं पूंजीपतियों की तिजोरियां भरने के लिए होता है. हमारे संविधान की भावना पूंजीवादी नहीं है.
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इन भ्रष्ट नेताओं और Bureaucrats की जीवन शैली बदल गई है. बड़ी बड़ी गाड़ियां, बंगले, विदेश यात्रा, बैंक बैलेंस इनकी चाहत हो गई है. आज का माहौल यह हो गया है की जनता की समस्यों को हल करने की बात करना एक छलावा है. वास्तव में हमारे सियासतदा अपने को घोटालों से बचाने में उलझे हुए हैं. इसके बावजूद वे आज भी भ्रष्ट तरीके से अधिक से अधिक धन कमाने में लगे हैं. बाहुबल व् पैसे के बल पर यह अपने विरोधियों को ख़त्म करने में भी नहीं हिचकते. केंद्र या इस देश के किसी राज्य में किसी दूसरे दल की सरकार आती है तो जनता बड़ी उम्मीद से उसकी ओर देखती है की शायद उसको कुछ राहत मिलेगी लेकिन सत्ता में आते ही वह दल भी उसी रास्ते पर चल पड़ता है या उसे चलने के लिए मजबूर कर दिया जाता है. क्योंकि काम तो उन्हें उन्ही भ्रष्ट Bureaucrats या बाबू से लेना है. वे तो अपनी जगह जमें हुए हैं. वे फाइलों को अपनी मर्जी से चलाते हैं. क्योंकि अधिकतर मंत्री अपने विभागों में आते ही नहीं हैं. उनको आम जनता से मिलना अच्छा नहीं लगता. उनका अधिकतर समय celebrities व पूंजीवादी व्यवस्था के करणधारों से मिलने तथा दौरों में गुजरता है. विगत वर्षों में इन भ्रष्ट नेताओं, Bureaucrats एवं बाबूओं की लाबी की जडें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि यदि हजारों में एक कोई इमानदार नेता, अफसर या बाबू आवाज उठता है तो साम दाम दंड भेद, किसी ना किसी तरह उसकी आवाज दबा दी जाती है. किरण बेदी इसकी एक मिसाल हैं.
भ्रष्ट लाबी के हौंसले इतने बुलंद हैं कि जब किसी भ्रष्ट मंत्री, Bureaucrat या बाबू से जनता का कोई व्यक्ति इस विषय पर बात करता है तो उनके चहरे के भाव ऐसे होते हैं कि यह तो ऐसा हे चलता रहेगा रोक सको तो रोक लो. इसको केवल महसूस किया जा सकता है. आज किसी भी दल में प्रवक्ता की भाषा सौम्य नहीं है. वे वाक युद्ध में विशवास करते हैं. जिससे वे अपने दल के हाईकमान के सामने अच्छे नंबर बना सकें. वे औछी से औछी भाषा का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाते. वे शालीनता से अपने दल के घोटालों की मीडिया के सामने सफाई देने की बजाए दूसरे दलों द्वारा विगत में हुए घोटालों को गिनाते हैं. कैसी विडंबना है कि यदि किसी दल ने घोटाला किया है तो इससे दूसरे दल को भी घोटाला करने का Licence मिल गया. वे पलटवार करने के राजनीति करने जनता को गुमराह करते हैं. हिंदुस्तान के लचर क़ानून भ्रष्टाचार में सहायक हैं. आज की व्यवस्था के अन्दर भ्रष्टाचारी पर अंकुश लगाना नामुमकिन है. भ्रष्टाचारियों ने इस देश की जनता का Moral तोड़ दिया है. इस देश की जनता को पिछले ६३ सालों में धीरे धीरे यह समझा दिया गया है की हमारे इस देश में भ्रष्टाचारियों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. आम आदमी को इस देश में इन्साफ नहीं मिलता. Common Wealth Games हो जायेंगे लेकिन दिल्ली वासी सालों तक शीला सरकार के घोटालों की तपिश महसूस करते रहेंगे. शीला सरकार का कहना है की विदेशियों के सामने हमारे देश की छवी ना बिगड़े. वह इस देश वासियों की अतिथि देव: भाव की भावना को भुनाना चाहती है. इस सरकार ने विदेशियों को बुद्धिहीन समझ रखा है. क्या वे प्रिंट मीडिया व Electronic मीडिया के जरिये दिल्ली की हालत से वाकिफ नहीं है. दुनिया के देश बाखूबी जानते है की भारत देश ही ऐसा है की अपने देश के दिल्ली वासियों को उजाड़ कर हमारा स्वागत करेगा. क्या दुनिया के लोग नहीं जानते की अच्छी बिल्डिंग तैयार करने में Minimum कितना वक्त लगता है. अगर एक डेढ़ साल में दिल्ली को पेरिस बनाया जा सकता है. सफाई व्यवस्था, पानी, बिजली सड़कें, transport आदि सभी चीजें International Standard की हो सकती हैं, अफसरों और बाबूओं को शिष्ट बनाया जा सकता है, तो पिछले ६३ सालों में इस देश की सफाई व्यवस्था क्यों चरमरा गई. महानगरों में जगह जगह कूड़े करकट के अम्बार किसी से छिपे नहीं हैं. दिल्ली मुंबई आदि महानगरों के नाले कचरे से भरे रहते हैं जिसके कारण ज़रा सी बरसात में सभी जगह पानी भर जाता है. बिजली का ना आना एक आम बात है. सडकों के खस्ता हालत और टांसपोर्ट की दुर्दशा से कौन वाक
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